मदर टेरेसा का जीवन परिचय व इतिहास | Mother Teresa biography history in Hindi
इंसान कई सालों से पृथ्वी पर रह रहा है लेकिन कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए जीते हैं वे दूसरों के दुखों को काम करने के लिए जीते हैं। उनके जीवन का उद्देश्य उनके दुख दर्द को कम करना और खुशियां फैलाना हैं।
मदर टेरेसा उनमें से एक थी उसने अपना पूरा जीवन दूसरों के कल्याण के लिए दिया था वह गरीब, बीमार और असहाय लोगों का सहारा बनी। वह हमेशा के लिए आदर्श रहेगी।
मदर टेरेसा जीवनी ( Mother Teresa Biography)
नाम (Full Name) | अग्रेसा गोंझा बोझक्सिहू |
उपनाम (Nick Name) | सेंट टेरेसा, मदर टेरेसा |
प्रसिद्धि (Profession) | कैथोलिक नन |
जन्मदिन (Date of birth) | 26 अगस्त 1910 |
उम्र (Age) | 87 साल (मृत्यु के समय) |
स्कूल (School) | प्राइवेट कैथोलिक स्कूल |
नागरिकता (Nationality) | जर्मन, स्विस, अमेरिकी |
आंखो का रंग (Eye’s Colour) | गहरे भूरे रंग की |
बालो का रंग (Hair Colour) | सफेद |
पेशा (Profession) | कैथोलिक नन, मिशनरी और ऑर्डर ऑफ मिशनरीरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक |
मृत्यु (Date of death) | 5 सितंबर 1997 |
जन्मस्थान (Birth place) | स्काजपे |
धर्म (Religion) | – |
जाति (Caste) | – |
भाषा (language) | English |
मदर टेरेसा कौन थी? (Who is Mother Teresa)
मदर टेरेसा एक ऐसा नाम है जिसका स्मरण करने मात्र से ही हमारे मन में श्रद्धा भर आती है, और हमारी चेहरे पर एक विशेष आभा उमड़ आती है मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थी जिन्होंने संपूर्ण विश्व में बहुत से दरिद्र, असहाय, गरीब, बीमार इत्यादि लोगों के हृदय में अपना एक विशेष स्थान बनाया हुआ था।
अपनी इसी दया के कारण उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन भर में ऐसे ही लोगों की कर्तव्य और निष्ठा के साथ सेवा की और इनकी भलाई के लिए अनेकों कार्य किए।
मदर टेरेसा का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को उस्कुब (उत्तर मेसिडोनिया) मैं हुआ था। इनके पिता का नाम निकोला बोयाजू था इनके पिता निकोला एक साधारण से व्यवसाय थे। इनकी माता का नाम द्रना बोयाजू था।
मदर टेरेसा का अन्य नाम अग्नेश गोँझा बोयाजू है। इनके नाम का अल्बेनियन भाषा में अर्थ फूल की कली से होता है और ऐसे में उन्होंने अपने नाम के जैसा ही कार्य भी किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि मदर टेरेसा एक ऐसी कली थी जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में गरीबों, असहाय और दरिद्र की जिंदगी में प्यार की खुशियां भरी हैं।
मदर टेरेसा की शिक्षा (Mother Teresa Education)
एग्रेस नहीं अपनी स्कूली शिक्षा प्राइवेट कैथोलिक स्कूल से अल्बानीआई भाषा में पूरी की थी। जब छोटी थी तब वह बहुत आकर्षक थी उसकी भूरी आंखें थी जो उसे आकर्षक और आकर्षक बनाती थी। साथ ही वह एक मेधावी विद्यार्थी थी और हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करती थी एग्रेस अपने स्कूल और कॉलेज में भी सबसे प्यारी थी वह अपने कॉलेज की टॉप जिम्नास्ट में से एक थी।
मदर टेरेसा का परिवार (Mother Teresa Family)
माता का नाम (Mother Name) | ड्रेनाफाइल बोजाक्सीहु |
पिता का नाम (Father’s Name) | निकोला बोजाक्सीहु |
बहन का नाम (Sister’s Name) | 1 बहन (नाम ज्ञात नहीं) |
भाई का नाम (Brother’s Name) | 1 भाई (नाम ज्ञात नहीं) |
मदर टेरेसा का आगमन भारत में कब और कैसे हुआ?
जैसे कि हमने बताया कि मदर टेरेसा लॉरेट सिस्टर्स में शामिल हो गई थी इसके लिए उन्होंने आयरलैंड जाकर के अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया था। आयरलैंड से मदर टेरेसा वर्ष 1929 में 6 जनवरी को कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट नामक की स्कूल में पहुंची। मदर टेरेसा एक अनुशासित शिक्षिका के रूप में साबित हुई और उनकी दया शीलता के कारण सभी विद्यार्थियों से अत्यधिक इसने करते थे।
अपने ऐसी मेहनत की वजह से वर्ष 1944 में मदर टेरेसा उसी विद्यालय में हेड मिस्ट्रेस बन गई। मदर टेरेसा का मन पठन-पाठन के कार्य में बहुत ही अच्छी तरीके से मिल गया था परंतु उनके आसपास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी ने उनके मन को बहुत ही अशंतता प्रदान की।
मदर टेरेसा के एडमिनिस्ट्रेट बनने से 1 वर्ष पूर्व अर्थात वर्ष 1945 में आई हुई अकाल के कारण संपूर्ण शहर में भारी संख्या में लोगों की मृत्यु होने लगी उस समय भी मदर टेरेसा ने उन लोगों की काफी सहायता की थी।
वर्ष 1946 में हिंदू-मुस्लिम युद्ध के कारण उन लोगों ने कोलकाता शहर की स्थिति को बहुत ही भयानक और डरावनी बना दी थी इस समय भी मदर टेरेसा ने उन्हें एक साथ रहने का संदेश दिया था।
कोलकाता की संत मदर टेरेसा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च ने कोलकाता की संत टेरेसा के नाम से भी नवाजा। उन्होंने कोलकाता के अनेक दरिद्र, गरीब, लाचार आदि जरूरतमंद लोगों की सेवा की है और उन्होंने जरूरतमंदों के लिए प्रार्थना बल प्राची से भोजन का बंदोबस्त किया था।
इतना ही नहीं उन्होंने नोबेल प्राइज से ही अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए रहने और खाने के लिए अनेक निवास बनवाए। शांति निवास, निर्मल बाल निवास आदि का निर्माण मदर टेरेसा के द्वारा ही किया गया है।
मदर टेरेसा एक शिक्षक के रूप में
1931 में टेरेसा ने ब्रह्मचर्य का अपना पहला व्रत लिया। टेरेसा की संस्था ने उन्हें दार्जिलिंग भेज दिया जहां वे एक कान्वेंट स्कूल में पढ़ाती थी उन्होंने अंकगणित भूगोल और धर्म पढ़ाया।
मदर टेरेसा को भारत आने के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था वह अंग्रेजी नहीं जानती थी इसलिए सबसे पहले उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाएं सीखे इन सबके साथ हुए लगातार जरूरतमंद लोगों की मदद करती रही।
1 महीने के बाद, टेरेसा दार्जिलिंग से कोलकाता स्थानांतरित हो गई। और टेरेसा ने सेंट मैरी हाई स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।
मदर टेरेसा बनी सिस्टर टेरेसा
टेरेसा ने खुद को गरीबों को जरूरतमंदों, शरणार्थियों, मलिन बस्तियों, विकलांगों और वंचित लोगों की मां कहा। उन्होंने न केवल एड्स रोगियों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान किया बल्कि उन्होंने उन्हें सामाजिक स्वीकृति भी दी और अपनी करुणा से उन्हें ठीक किया।
वह उन सभी लोगों के साथ थी जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था और जो समाज के लिए बोझ थे। सभी जरूरतमंदों को चंगा करके वह मदर टेरेसा की सिस्टर टेरेसा बनी।
मिशनरी ऑफ चैरिटी (Missionaries of charity history)
उन्होंने महसूस किया कि दुनिया भर में जरूरतमंद लोगों और बच्चों की संख्या बहुत बड़ी है। इसलिए उन्होंने “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की और उसने विश्व स्तर पर “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की शाखाएं खोली।
1950 में टेरेसा और अन्य मिशनरियों को अपने स्वयं के धर्मार्थ घर शुरू करने की आधिकारिक अनुमति मिली है। अन्ततः 7 अक्टूबर 1950 को टेरेसा ने कोलकाता में “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की।
टेरेसा ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में कई मिशनरी संस्थान खोले थे मिशन के लिए अधिकांश निष्कर्ष विदेशों से प्राप्त हुए भारतीयों और भारत सरकार ने भी उन्हें फंडिंग में मदद की थी।
मदर टेरेसा अवार्ड वा अचीवमेंट (Mother Teresa awards and achievements)
- 1962 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- 1980 में भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- 1985 में अमेरिका सरकार द्वारा मेडल ऑफ फ्रीडम अवार्ड दिया गया।
- 1979 में मदर टेरेसा को गरीब, बीमारों की मदद के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 2003 में पोप जॉन पॉल ने मदर टेरेसा को धन्य कहा, उन्हें ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ कोलकाता का कर सम्मानित किया।
मदर टेरेसा पर हुए विवाद (Mother Teresa Controversy)
इस व्यापक प्रशंसा के बावजूद मदर टेरेसा के जीवन और काम को विवादों के घेरे में ला खड़ा किया, कहते हैं सफलता जहां होती है विवाद उसके पीछे पीछे चले आते हैं. मदर टेरेसा की इस निस्वार्थ भाव की दया और प्रेम को भी लोग गलत समझने लगे और उन पर आरोप लगाया गया कि वे भारत में लोगों का धर्म परिवर्तन करने की नियत से सेवा करती है।
लोगों ने अच्छा इंसान ना समझ कर इसाई धर्म का प्रचारक समझते थे इस सब बातों से ऊपर मदर टेरेसा अपने कर्मों की ओर ही ध्यान लगा दी थी लोगों की बातों पर ना ध्यान देते हुए उन्होंने अपने काम को ज्यादा तवज्जो दिया।
मदर टेरेसा की मृत्यु (Mother Teresa Death)
मदर टेरेसा को कई सालों से दिल वा किडनी की परेशानी थी उन्हें पहला दिल का दौरा 1983 में रोम में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात के दौरान आया था। इसके बाद दूसरी बार उन्हें 1989 में दिल का दौरा आया। तबीयत खराब के चलते भी वे अपने काम करती थी और मिशनरी के सभी कर्मो से जुड़ी रही।
1997 में जब उनकी हालत बिगड़ती चली गई और उन्हें इसका आभास हुआ तो उन्होंने मार्च 1997 को मिशनरी ऑफ चैरिटी के हेड का पद छोड़ दिया जिसके बाद सिस्टर मैरी निर्मला जोशी को इस पद के लिए चुना गया। 5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का कोलकाता में देहांत हो गया।
मदर टेरेसा के अनमोल विचार
- यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित हैं।
- यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं तो कम से कम एक को ही करवाएं।
- अकेलापन सबसे भयानक गरीबी है।
- अपने करीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।
- प्रेम हर मौसम में होने वाला फल है, और हर व्यक्ति के पहुंच के अंदर है।
- अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धियों के बीच का पुल है।
- प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गई है खोने के समान हैं।
- यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितना दिया। बल्कि यह है कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।
- खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।
- कुछ लोग आपकी जिंदगी में आशीर्वाद की तरह होते हैं, तो कुछ लोग एक सबक की तरह।
- दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूंज अनंत होती है।
- हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के समान हैं।
FAQ
मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ था?
26 अगस्त 1910
मदर टेरेसा का जन्म कहां हुआ था?
उस्कुब (आज का सौप्जे, उत्तर मैसिडोनिया)
मदर टेरेसा के पिता का नाम क्या था?
निकोला बोजाक्सीहु
मदर टेरेसा के माता का नाम क्या था?
ड्रेनाफाइल बोजाक्सीहु
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निष्कर्ष
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